शनिवार, 16 जनवरी 2010

हवाओं ने कहा, फिजाओं ने सुना...

हवाओं ने कहा सितारों से फिजाओं ने सुना किनारों से
क्यों पूछते हो मेरा हाल
जब हमने कहा तरानों से क्यों करते हो हमसे सवाल
जीवन तो इक नैया है और हमें जाना है उस पार
वसंती रंग से रंगे समंदर में हिचकोले लेता है मेरा प्यार
आपने तो निकाली अपनी जिंदगी झिलमिल सरगम के साजों में
हमें भी करने तो अपने प्यार का इजहार

बुधवार, 13 जनवरी 2010

दे माई दे माई लोहड़ी...

पंजाब में ऋतु परिवर्तन एवं नई फसल के यौवन पर आने की खुशी मेें मनाए जाने वाले पर्व लोहड़ी पर जयपुर में पंजाबी समाज के लोगों ने अनेक आयोजन किए, कलाकारों को बुलाया, रेवड़ी, मूंगफली और पॉपकॉर्न का प्रसाद बांटा।
पहली लोहड़ी पर नवविवाहित जोड़ों एवं नवजात शिशुओं वाले घरों में उत्सव का माहौल रहा। ऐसे घरों में कुंवारे लड़के-लड़कियों की टोलियां शगुन मांगने पहुंची। वहां पहुंचकर दे माई लोहड़ी वे, जीवे तेरी जोड़ी वे.. गाकर शगुन मागा। लोगों ने घरों और चौराहों पर डीजे लगाकर पंजाबी भंगडा और गिद्दा की धुनों पर नाचते-गाते लोहड़ी पर्व मनाया। लोहड़ी की अग्नि में लोगों ने समृद्धि एवं खुशहाली के लिए रेवड़ी, मूंगफली, मक्का के फूले तथा तिल से बनी मिठाइयां अर्पित की।

सौरमंडल में अपनी आभा बिखेर रहे हैं सर्दियों के सितारे

15 को सीधी चाल में वक्री बुध, चंद्रमा 18 को हो"ा बुध के नजदीक
सौरमंडल में सर्दियों के सितारे अपनी आभा बिखेरने ल"े हैं। संध्याकाश में वे चमकने ल"े हैं। आकाश में साफ नजर आने वाले चार प्रमुख "्रह इनके बीच चार चांद ल"ा रहे हैं। सबसे चमकदार "्रह शुक्र, सूर्य की आभा में छिपा हुआ है।
सूर्य के सबसे नजदीक वक्री बुध 15 जनवरी को सीधी चाल में आए"ा, जो पूरे माह धनु राशि के तारों के बीच डोलता रहे"ा। माह के उतराद्र्ध में कोई कुहासा रहित सुबह मिल जाए तो पूर्वी श्रितिज पर यहां से सूर्य निकलता है, वहीं ल"भ" 15 डि"्री ऊपर नजर दौड़ाने पर थोड़ी कठिनाई से चंचल बुध दिखाई दे जाए"ा। बीएम बिड़ला तारामंडल के सहायक निदेशक संदीप भट्टाचार्य के अनुसार अंधकार घिरते ही बृहस्पति दश्रिण?पश्चिम श्रितिज पर अपनी चमक?दमक से सभी को आकर्षित कर रहा है। यह कुंभ राशि में पहुंच चुका है। माह के अंत तक इसकी ऊंचाई मात्र 20 डि"्री रह जाए"ी। दरअसल बृहस्पति संध्याकाश से अलविदा होने की राह पर है। यह महीना है कर्क पर सवार मं"ल का। लाल मं"ल इस समय वक्र "ति में है और दिनोदिन इसकी चमक बढ़ रही है। चक्रधारी शनि 13 से वक्री "ति में आ रहा है। यह कन्या राशि का चमकदार तारा बना हुआ है। शनि देर रात उदय हो"ा और भोर में तारों की झिलमिलाहट खत्म होने से पहले मध्याकाश में पश्चिम की ओर पहुंच जाए"ा। चंद्रमा 18 जनवरी को बृहस्पति के आसपास हो"ा। सप्त"षिमंडल व सिंह राशि के आ"मन से जनवरी का संध्याकाश बड़ा ही हरा?भरा ल"ने ल"ा है। सर्दियों की अंधेरी रातों में कई प्रसिद्ध व भव्य तारामंडलों व उनमें ज"म"ाते चमकदार नश्रत्रों को आप आसानी से पहचान सकते हैं।

मंगलवार, 12 जनवरी 2010

मह•ेगी गंगा—जमुनी तहजीब

इस साल हिंदू, मुस्लिम व जैन धर्म •े •ई प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे साथ—साथ, शुरुआत होली से
वर्ष 2010 गंगा—जमुनी तहजीब से दम• उठेगा। वर्षभर सभी धर्मों •े धर्मावलंबी सांप्रदायि• सौहाद्र्र •ी बयार बहाएंगे। मुस्लिम धर्मावलंबी चांद •े तीसरे महीने रवि—उल—अव्वल •ी बारह तारीख •ो बरावफात मनाएंगे, वहीं अगले दिन हिंदू लोग होली मनाएंगे। दूसरी ओर जैन धर्मावलंबी महावीर जयंती पर भगवान महावीर •ो याद •रेंगे तो इसी दिन सूफी संत हजरत गौस उल आजम शेख अब्दुल •ादिर जिलानी रहमतुल्लाह अलेह (11वीं शरीफ) •ी जयंती मनाई जाएगी।
सावन में शिवमंदिर भोलेनाथ •े गुणगान से गूंजेंगे, तो इसी माह रमजान शुरू होंगे। इसी माह में जन्माष्टमी और जुमातुलविदा भी है। इस•े बाद ईद उल फितर व गणेश चतुर्थी साथ—साथ हैं। वहीं नवंबर में ईद—उल—अजहा पर देवउठनी ए•ादशी है। इसी माह दीपावली भी है। दिसंबर में योम—ए—आसुरा •े पर्व •े साथ ईसाई पर्व •्रिसमस धूमधाम से मनाया जाएगा।
हिंदू व मुस्लिम त्यौहार 32 से 35 वर्ष में साथ—साथ
ज्योतिष गणना •े अनुसार हिंदू त्यौहार चंद्रवर्ष व सौर वर्ष •े अनुपात •ो बराबर •रते हुए मनाए जाते हैं। पंडित बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा •े अनुसार दूसरी ओर मुस्लिम त्यौहार सिर्फ चंद्रवर्ष •े अनुसार ही मनाए जाते हैं। सौर वर्ष 365 दिन •ा होता है, वहीं चंद्रवर्ष 354 दिन •ा होता है। प्रतिवर्ष 11 दिन •े अंतर •े •ारण दोनों •े त्यौहार 32 से 35 साल में साथ—साथ आ जाते हैं। जामा मस्जिद •े सचिव अनवर शाह बताते हैं •ि ए• साथ आने वाले मुस्लिम त्यौहारों में सभी •ो मानवमात्र •े •ल्याण •ा सं•ल्प लेना चाहिए। गलत बातों •ो भूल•र धर्म •ी ओर अग्रसर हों।
ये पर्व साथ—साथ
-———27 फरवरी : बारावफात, 28 फरवरी : होलि•ा दहन।
———28 मार्च : 11वीं शरीफ व महावीर जयंती।
———27 जुलाई : सावन •ा आगाज तो 12 अगस्त : रमजान शुरू, 1 सितंबर : जन्माष्टमी, शहादते हजरत अली, 10 सितंबर : जुमातुलविदा।
———11 सितंबर : ईद—उल—फितर, गणेश चतुर्थी
———17 सितंबर : तेजाजी •ा मेला, सुगंध धूप दशमी
———17 नवंबर : देवउठनी ए•ादशी व ईद—उल—अजहा। इसी माह दीपावली भी मनाई जाएगी।

शनिवार, 9 जनवरी 2010

सोने की चमक में भूले कायदे-कानून

जयपुर। सिक्योरिटी और मनी ट्रांजेक्शन करने वाली जिस एजेंसी से हाल में 51 लाख रुपए का तीन किलो सोना चोरी हुआ, वह कायदों को ताक पर रखकर बिना लाइसेंस के चल रही है। एजेंसी ने प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज एक्ट के तहत राजस्थान में कारोबार के लिए जो आवेदन किया था, वह बीते साल सितंबर में निरस्त किया जा चुका है। लेकिन, एजेंसी नियम-विरुद्ध तरीके से अपना कारोबार जारी रखे हुए हैं। सोना चोरी की वारदात के बाद जब पुलिस जांच में यह तथ्य आया तो जयपुर में उसका कारोबार बंद करवाया गया है। नतीजतन, इसी सप्ताह एक और प्राइवेट बैंक का दो सौ किलो सोना जयपुर नहीं पहुंच सका।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, जी 4 एस सिक्योरिटी कंपनी राजस्थान में सिक्योरिटी, फेसेलिटी और कैश ट्रांजेक्शन, तीन तरह का कारोबार कर रही है। दि प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसीज (रेगुलेशन) बिल 2005 के तहत कोई भी सिक्योरिटी एजेंसी सरकार से विधिवत लाइसेंस लिए बिना कारोबार नहीं कर सकती है। लेकिन, जी 4 एस सिक्योरिटी न सिर्फ सिक्योरिटी बल्कि मनी व गोल्ड ट्रांजेक्शन जैसा जोखिम भरा कारोबार कर रही है। इस कंपनी ने राजस्थान में सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, लेकिन लाइसेंस के लिए एक्ट के तहत आवश्यक शर्ते पूरी नहीं करने के कारण इस कंपनी के लाइसेंस का मामला सितंबर 09 में अटक गया था। तब सिक्योरिटी कंपनी के लिए लाइसेंस देने के मामले राजस्थान पुलिस अकादमी के डायरेक्टर देख रहे थे। तीन महीने पहले यह काम वहां से आईजी (सिक्योरिटी) को शिफ्ट कर दिया गया।

इसलिए रद्द हुआ था आवेदन : कंपनी के लाइसेंस का आवेदन एक्ट की धारा 6 (2) की शर्त पूरी नहीं करने के कारण रद्द किया गया था। सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत आवेदन करने वाली कंपनी यदि भारत में रजिस्ट्रर्ड नहीं हो और उसके ज्यादातर शेयर होल्डर, पार्टनर या डायरेक्टर भारतीय नहीं हो तो कंपनी लाइसेंस के योग्य नहीं मानी जाएगी।

यूं मिलता है लाइसेंस1. सिक्योरिटी एजेंसी के लिए गृह विभाग में आवेदन करना होता है। 2. लाइसेंस के लिए सेना, संघ व राज्य के सशस्त्र बलों, पुलिस व होमगार्ड को प्राथमिकता दी जाती है।3. आवेदक निर्धारित प्रारूप में आवेदन पत्र प्रस्तुत करेगा, जिसके साथ शपथ पत्र देना होता है। इसमें अपराधी या दिवालिया ना होने व भारत में पजीकृत होने व अधिकांश शेयर धारक भारत के होने का उल्लेख होगा।4. लाइसेंस मिलने के बाद यह पांच साल की अवधि के लिए मान्य होगा। इसके बाद इसका नवीनीकरण कराना होगा।

नियमों का उल्लंघन करने पर सजा : लाइसेंस लेने के बाद कंपनी अगर एक्ट के नियमों का उल्लंघन करती है तो उसका लाइसेंस एक साल के लिए निलंबित किया जा सकता है या कंपनी पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लग सकता है या दोनों सजा भी दी जा सकती है।

मंगलवार, 5 जनवरी 2010

राजापार्क गुरुद्वारे में झलकेगा भारत की सभी संस्कृतियों का मिलन

बदले स्वरूप में नजर आएगा शहर का मुख्य गुरुद्वारा, गुरुद्वारे के कायाकल्प का प्रस्ताव तैयार
शहर का प्रमुख गुरुद्वारा राजापार्क अब नए स्वरूप में नजर आएगा। इसमें भारत की सर्वधर्म संस्कृति को दर्शाती झलक नजर आएगी। गुरुद्वारे की कायाकल्प के लिए मॉडल तैयार किया चुका है। अब इस पर जल्द ही क्रियान्विति की जाएगी।गुलाबी नगरी के हृदयस्थल पर मौजूद इस गुरुद्वारे का निर्माण राजपूत, मुगल और पंजाबी संस्कृति को दर्शाती शैली में किया जाएगा। शहर में सर्वाधिक करीब अस्सी हजार से भी अधिक सिख संगत वाले इस गुरुद्वारे में विशेष रूप से गुरुद्वारे के मुख्य हॉल का विस्तार किया जाएगा।
बिखरेगी हरियाली : गुरुद्वारे में गुरु:ार के दर्शनों के साथ हरियाली भी बिखेगी। चारों ओर हरियाली बिखेरते पेड़ों के बीचोबीच करीब अस्सी फुट चौड़ा और 120 फुट लंबा मुख्य गुरुद्वारे का हॉल होगा। इसमें गुरुद्वारे में दो साइड से संगत के लिए प्रवेश द्वार होगा। मुख्य रूप से राजस्थानी शैली में संगमरमर के गुंबद बनेंगे, वहीं पालकी साहब में सभी शैलियों का मिश्रित रूप नजर आएगा।दो मंजिल का होगा गुरुद्वारा : यह गुरुद्वारा दो मंजिल का होगा। इसमें नीचे का हॉल लंगर के लिए रहेगा, वहीं ऊपरी मंजिल पर गुरु:ार प्रकाशमान होंगे। इसके साथ ही नीचे श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग की विशेष व्यवस्था की
राजस्थान सिख समाज के अध्यक्ष अजयपाल सिंह के अनुसार गुरुद्वारा निर्माण के लिए मॉडल तैयार किया जा चुका है। शहर की सिख संगत को ध्यान में रखते हुए गुरुद्वारा को भारत की सभी शैलियों का स्वरूप दिया जाएगा। राजापार्क गुरुद्वारा कमेटी के उपाध्यक्ष सतवंत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा निर्माण के समय गुरु:ार को पहले से ही निर्मित भवन में प्रकाशमान कर दिया जाएगा। गुरुद्वारा का निर्माण जल्द ही बैठक कर आगे क्रियान्वित किया जाएगा।

शनिवार, 2 जनवरी 2010

जयपुर: बिन पौषबड़ा सब सून

जयपुर में भगवान और भक्त दोनों को ही भाता है पौष बड़े का स्वाद

जयपुर. करीब चालीस वर्ष पहले तक गिने चुने मंदिरों तक सीमित शहर की पुरातन परंपरा पौषबड़ा अब हर किसी की पसंद बन चुकी है। वैष्णव धर्म में प्राचीन काल से ही अपने ईष्टदेव को ऋतु अनुरूप सेवा की परंपरा रही है। सर्दी में अपने—अपने ईष्ट देव या देवी को गरम तासीर के खाद्य पदार्थों का भोग लगता है। जहां पूरे देश में बाजरे का खिचड़ा और मेवे और लड्डुओं का भोग लगता है, वहीं जयपुर में अपने अराध्य को पौषबड़े जिमाये जाते हैं। कुछ साल पहले तक कुछेक मंदिरों में जिमाया जाने वाला पौषबड़ा अब हर मंदिर में शरद ऋतु का दस्तूर बन चुका है। अब तो यह हालत है कि पौषबड़े के दिन पूरा लंगर होता है और हजारों और लाखों की संख्या में भगवान के साथ भक्तों को भी जिमाया जाता है।
पहले और अब
पुरातन काल में : ठाकुरजी को पौष कृष्णपक्ष शुरु होते ही राजभोग में ठाकुरजी की दूध व मेवे से बने खिचड़े से और शयन में तिल व गुड़ से बने व्यंजनों और केसरयुक्त दूध से अगवानी की जाती थी। यह दौर पंद्रह दिन तक जारी रहने के बाद शुक्ल पक्ष शुरू होते ही भगवान को पौषबड़ों का भोग लगना शुरू हो जाता था। बड़ी चौपड़ स्थित लक्ष्मीनारायण बाईजी के महंत पुरुषोत्तम भारती बताते हैं कि करीब चालीस साल पहले तक घाट के बालाजी, आमेर रोड स्थित मनसा माता मंदिर, बड़ी चौपड़ स्थित बाईजी मंदिर और स्टेशन रोड स्थित कौशल्यादास की बगीची में ही पौषबड़ों का भोग लगता था।
वर्तमान में : बदलते समय और बढ़ती महंगाई के दौर में पौषखिचड़े की प्रथा अब लगभग लुप्त हो गई है। पहले जहां पौष खिचड़ा लोकप्रिय था, अब उसका स्थान पौषबड़ों ने ले लिया। जो अब गरीब से लेकर अमीर तक की चाह बन गई है। जयपुर के बदले स्वरूप और मंदिरों की बढ़ती संख्या व कॉलोनियों के विस्तार के साथ ही पौषबड़ों के प्रचलन में बहुत अधिक विस्तार हो गया।
पौषबड़ों में छिपा है स्वस्थ रहने का राज
पौषबड़ा प्रसादी में उपयोग में आने वाली मूंग,उड़द,चौला की दाल के बड़े और अदरक व लाल मिर्ची में स्वस्थता का राज छिपा है। विद्वानों की माने तो मूंग कफ,फोड़े फुंसी और सिरदर्द दूर करने का गुण रखती है। तो उड़द से वायु व गठिया दूर होता है। वहीं अदरक मंदाग्रि दूर कर भूख जागृत करती है और खांसी भी शांत करती है। लाल मिर्च वादी दूर करती है।