सोमवार, 22 जून 2015

एक सच्ची घटना : जीवन है कुछ पल का...जीयो खुलके...दोस्ती और जिंदादिली से

दोस्तो एक अहम घटना आपसे शेयर कर रहा हूं। हम अक्सर अपनी ही दुनिया में मस्त रहते हैं। जो दोस्त हैं...करीबी हैं उनसे हम केवल इसीलिए दूरी बनाए रखते हैं या तो वह याद कर लेगा या फिर हां कर लेंगे। लेकिन कभी-कभी ये इतना दुखद हो जाता है कि हम पछताते रह जाते हैं...और पिछली यादों को सहलाते रहते हैं। लेकिन वह वक्त लौटकर वापस नहीं आता।
घटना ये है कि एक बार मैं और मेरा एक करीबी मित्र दोनों आपस बात कर रहे थे...हमारी बातें ऐसे अतीत में खो गईं कि मेरे मित्र को अपने एक अन्य बचपन के मित्र का खयाल आया। उसने तुरंत उसे फोन किया। फोन उसके बेटे ने उठाया...जब उसने दोस्त के बारे में पूछा तो उसके आंखों के आंसू बह निकले और जवाब सुनते ही मानों उसके पैरों से जमीन खिसक गई हो और उसका सबकुछ लुट गया हो। फोन रखा तो असल कहानी पता चली कि उनके दोस्त को गुजरे 12 दिन हो चुके और आज उनका 12वां था। ये घटना कोई काल्पनिक नहीं ये सच्ची घटना है। हम आज की दुनिया में असल में इतने व्यस्त हो चुके हैं कि काम के अलावा परिवार तक की जिम्मेदारियों को भूल जाते हैं।
हां अभी ये घटना अभी यहीं खत्म नहीं हुई। जिस मित्र के पास बैठकर मुझे इस दुखद बात का पता चला...असल में उस घटना के बाद मैं खुद भी इतना व्यस्त हो गया कि उसके बाद उनसे मिलने का मौका तक नहीं मिला। बात में पता चला कि उनके पीलिया हो गया....इस बीमारी में वे काफी कमजोर होने के कारण कई दिन तक बिस्तर पर रहे। इस दौरान एक बार बीच में उनसे मिलने का मौका मिला। फिर करीब दो से तीन महीने तक उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। हाल ही में पता चला कि उनके ये बीमारी इस कदर फैल गई कि उन्हें दूसरी जिंदगी मिली। सुनकर बड़ा कष्ट हुआ...ना मैं उनकी कोई मदद कर सका और ना ही उनसे मिलने जा सका। बाद में बमुश्किल उनसे संपर्क हुआ। फिर मिलना भी।
हो सकता है कि ये घटना कई मित्रों को अच्छी ना लगे...कोरी कल्पना लगे...दकियानूसी लगे। लेकिन मेरा इस घटना को आपसे शेयर करने का  उद्देश्य केवल इतना है कि हमें पता है कि जीवन का कोई मोल नहीं होता और जीवन का कोई भरोसा भी नहीं। बस जरूरत केवल इतनी है कि जो पल हमें मिले हैं उन्हें अपने दोस्तों के साथ खुलकर जी तो सकते हैं। हमेशा संपर्क में रहो...ताकी सबकी खुशी और दुख हम बांट सकें। कोशिश हो तो उनके दुख बांट भी सकें।
                                                                               आपका एक अभिन्न मित्र
                                                                                  चन्द्रशेखर कौशिक