गुरुवार, 22 मार्च 2012

कुछ लोग कह रहे हैं कि हमारा संतुलन बिगड़ गया है, वो बयान दोबारा पढ़ें : श्रीश्री

श्रीश्री रविशंकर आश्रम में श्रीश्री ने कहा कि हम इतने मूर्ख नहीं कि ये कहें कि सारे गवर्नमेंट स्कूल में नक्सलवाद पैदा हो रहा है, नक्सली क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों के बच्चे अक्सर हिंसा से ग्रस्त
आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर ने कहा है कि मुख्य उद्देश्य ये नहीं है कि स्कूल सरकार चलाए या निजी संस्थाएं चलाएं। उद्देश्य ये है कि एक आदर्श व्यक्तित्व निकले। सारी निजी संस्थाएं बाजारीकरण नहीं हैं कई संस्थाएं सेवाभावी भाव से स्कूल चला रहे हैं। हम खुद भी स्कूल चला रहे हैं। 185 से ज्यादा हमारे स्कूल चल रहे हैं।
 जयपुर में प्रतापनगर सेक्टर-26 के श्रीश्री रविशंकर आश्रम में मीडिया से मुखातिब श्रीश्री ने मंगलवार को विवादित बयान के बारे में कहा कि जो नक्सलवाद से ग्रस्त क्षेत्र हैं वहां अक्सर यही पाया गया है। वहां सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चे अक्सर हिंसा से ग्रस्त पाए गए हैं। पूर्वांचल और यूपी के क्षेत्रों में पाया गया। अच्छा है राजस्थान में वो नक्सली प्रभाव नहीं। आदर्श विद्यालयों को मैंने ये प्रेरणा दी कि आप नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपने संस्थान खोले। हम इतने मूर्ख नहीं कि ये कहें कि सारे गवर्नमेंट स्कूल्स में नक्सलवाद पैदा हो रहा है। किसी भी स्कूल को जनरलाइज नहीं करते हैं। मैं बहुत सोच समझकर बोलता हूं। कुछ लोग ये कह रहे हैं कि हमारा संतुलन बिगड़ गया है वो हमारा बयान दुबारा पढ़ें। हमने ये नक्सली क्षेत्रों के लिए कहा था। वहां कुछ रुग्ण विद्यालय हैं जिनसे इस तरह के तत्व बाहर निकल के आए हैं। उन विद्यालयों के निजीकरण पर मैंने जोर दिया है।
 नक्सल प्रभावी क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में नैतिकता की कमी     नक्सल प्रभावी क्षेत्रों में स्कूल ढंग से नहीं चल रहे वहां नैतिकता की शिक्षा नहीं दी जा रही। जब हम वहां दौरे पर थे और छोटे-छोटे बचें से बात की, कि आगे बड़े होकर क्या करना चाहते हो, तो अधिकांश बच्चों ने ये कहा कि नक्सल बनना चाहता हूं। ये नक्सली बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़े हुए थे। मैंने ऐसे क्षेत्रों में आदर्श विद्या मंदिर खोलने के लिए कहा।
 अपवाद हर जगह मिलते हैं अयोध्या के दौरे के दौरान प्राइवेट स्कूल के एक बच्चे द्वारा टीचर को गोली मारने की घटना के सवाल के बारे में श्रीश्री ने कहा कि  अपवाद हर बात में है ये जरूरी नहीं कि सभी प्राइवेट स्कूलों में अच्छा हो। वो एक मोरल और कमिटमेंट और जिम्मेदारी लेकर बच्चों को सिखाते हैं। जो सरकारी स्कूलों में नहीं दिखाई देता।
 उत्तरी व पूर्वांचल क्षेत्रों में शिक्षा पद्धति में काफी सुधार की जरूरत
 नक्सली क्षेत्रों में बच्चों को वो ही आदर्श लगता है। वहां ये सिखाया जाता है कि तुम अपने बल पर ही राज करोगे। झारखंड में, छत्तीसगढ, आंध्रप्रदेश के कई इलाकों में जाकर दौरे करो और विश्लेषण करो। वहां कई जगह ऐसा मिलेगा कि शिक्षा पद्धति में काफी सुधार की आवश्यकता है। विवाद उठाने हैं तो किसी भी बात पर उठा सकते हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
 शिक्षा पद्धति में हो सुधार ज्यादा से ज्यादा लोग जिम्मेदारी से स्कूलों में काम करने के लिए आगे बढ़ें। वर्तमान में शिक्षा पद्धति में कई सुधार की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ टीचर्स ट्रेनिंग की जरूरत भी है।

नव संवत 2069 : एक सदी बाद राजा-मंत्री के दोनों पद पर काबिज हुआ शुक्र। बदला ग्रहों का मंत्रिमंडल

नव संवत 2069 इस बार एक सदी बाद अनूठा संयोग लेकर आया है। इस संवत के ग्रहों का मंत्रिमंडल शुक्रवार को बदल गया। शुक्र के इस वार में राजा और मंत्री के दोनों ही पदों पर दैत्य गुरु शुक्र काबिज हो गए हैं। ज्यातिष शास्त्रीयों का मानना है कि नया संवत आधुनिक तकनीक व नवीन आविष्कार देने वाला रहेगा।

ज्योतिषविदों की मानें तो राजा और मंत्री दोनों के पद शुक्र को मिलने का ऐसा संयोग एक सदी पहले तक देखने को नहीं मिला।16 साल बाद संवत 2086 में वापस शुक्र को राजा व मंत्री के पद पर रहने का अवसर मिलेगा। पं. बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार हालांकि दोनों पदों पर एक ग्रह के आसीन रहने का अवसर तो कई बार आया,मगर शुक्र को यह अवसर एक सदी बाद मिला। विश्वावसु नाम का यह संवत्सर प्रजा में आध्यात्मिक रुचि व आस्था बढ़ाने वाला साबित होगा। वहीं लोगों में सत्ता के प्रति रोष रहेगा। धातुओं में तेजी, आर्थिक स्थिति में मजबूती और सुख-शांति देने वाला रहेगा। नए संवत में रोहिणी का वास पर्वत पर होने से कहीं-कहीं वर्षा में कमी के संकेत मिलेंगे, तो समय का वास कुंभकार के पास होने से भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होगी। समय का वाहन मेंढक अच्छी वर्षा के संकेत मिलेंगे।

इनसे छिनी सत्ता

संवत 2068 के दुर्गेश, मेघेश और धनेश बुध नव संवत में तीनों पदों से विहीन हो गए। वहीं इस बार इन्हें कोई पद नहीं दिया गया है। बुध के सभी पद गुरु के पास आ गए हैं। इस संवत के राजा चंद्रमा से राजा का पद छिन गया है।

ये है मंत्रिमंडल
राजा : शुक्र, मंत्री : शुक्र, सश्येश: चंद्रमा, मेघेश, फलेश व दुर्गेश : गुरु, रसेश : मंगल, धनेश व नीरसेश : सूर्य, धान्येश : शनि।

इन संवतों में राजा-मंत्री समान

अब तक यूं रहेसंवत 2063 : गुरु, संवत 2048 : सूर्य, संवत 2046 : गुरु, संवत : 2040 : गुरु, संवत 2029 : गुरु, संवत 2023 : बुध, संवत 2006 : बुध, संवत 2004 : सूर्य, संवत 1981 : शनि।

आगे यूं रहेंगे
संवत 2071 : चंद्रमा, संवत 2078 : मंगल, संवत 2082 : सूर्य, संवत 2084 : बुध, संवत 2086 : शुक्र।