गुरुवार, 22 मार्च 2012

नव संवत 2069 : एक सदी बाद राजा-मंत्री के दोनों पद पर काबिज हुआ शुक्र। बदला ग्रहों का मंत्रिमंडल

नव संवत 2069 इस बार एक सदी बाद अनूठा संयोग लेकर आया है। इस संवत के ग्रहों का मंत्रिमंडल शुक्रवार को बदल गया। शुक्र के इस वार में राजा और मंत्री के दोनों ही पदों पर दैत्य गुरु शुक्र काबिज हो गए हैं। ज्यातिष शास्त्रीयों का मानना है कि नया संवत आधुनिक तकनीक व नवीन आविष्कार देने वाला रहेगा।

ज्योतिषविदों की मानें तो राजा और मंत्री दोनों के पद शुक्र को मिलने का ऐसा संयोग एक सदी पहले तक देखने को नहीं मिला।16 साल बाद संवत 2086 में वापस शुक्र को राजा व मंत्री के पद पर रहने का अवसर मिलेगा। पं. बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पं. दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार हालांकि दोनों पदों पर एक ग्रह के आसीन रहने का अवसर तो कई बार आया,मगर शुक्र को यह अवसर एक सदी बाद मिला। विश्वावसु नाम का यह संवत्सर प्रजा में आध्यात्मिक रुचि व आस्था बढ़ाने वाला साबित होगा। वहीं लोगों में सत्ता के प्रति रोष रहेगा। धातुओं में तेजी, आर्थिक स्थिति में मजबूती और सुख-शांति देने वाला रहेगा। नए संवत में रोहिणी का वास पर्वत पर होने से कहीं-कहीं वर्षा में कमी के संकेत मिलेंगे, तो समय का वास कुंभकार के पास होने से भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होगी। समय का वाहन मेंढक अच्छी वर्षा के संकेत मिलेंगे।

इनसे छिनी सत्ता

संवत 2068 के दुर्गेश, मेघेश और धनेश बुध नव संवत में तीनों पदों से विहीन हो गए। वहीं इस बार इन्हें कोई पद नहीं दिया गया है। बुध के सभी पद गुरु के पास आ गए हैं। इस संवत के राजा चंद्रमा से राजा का पद छिन गया है।

ये है मंत्रिमंडल
राजा : शुक्र, मंत्री : शुक्र, सश्येश: चंद्रमा, मेघेश, फलेश व दुर्गेश : गुरु, रसेश : मंगल, धनेश व नीरसेश : सूर्य, धान्येश : शनि।

इन संवतों में राजा-मंत्री समान

अब तक यूं रहेसंवत 2063 : गुरु, संवत 2048 : सूर्य, संवत 2046 : गुरु, संवत : 2040 : गुरु, संवत 2029 : गुरु, संवत 2023 : बुध, संवत 2006 : बुध, संवत 2004 : सूर्य, संवत 1981 : शनि।

आगे यूं रहेंगे
संवत 2071 : चंद्रमा, संवत 2078 : मंगल, संवत 2082 : सूर्य, संवत 2084 : बुध, संवत 2086 : शुक्र।

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