रविवार, 10 जुलाई 2011
आस्था की छतरियों पर खड़ी होगी मीनार
दादूपंथी गोविंददासजी का बाग का मामला : महंत माधोदास के शिष्य ने किया किया प्राचीन छतरियां हटाकर विकास के नाम पर बिल्डिंग बनाने का कॉलोबरेशन।
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-राजपरिवार ने की थी दादूपंथी राजगुरुओं को दान।
-वर्तमान में बाग में बड़े-बड़े संतों की करीब 10 छतरियां।
-राजगुरु महंत माधोदास की वसीयत के मुताबिक किसी की भी निजी संपत्ति नहीं।
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शहर के बीचों बीच स्थित दादूपंथी गोविंददासजी का बाग में बनी दादूपंथी संतों की छतरियों पर अब मीनार खड़ी होगी।
रामनिवास बागसे मोतीडूंगरी रोड पर बने इस बागकी जमीन दादूपंथी राजगुरुओं को राजपरिवार ने दान की थी। इस बागमें दादूपंथी संत गोविंददास की समाधि के अलावा अन्य दस संतों की चरण छतरियां बनी हैं इन छतरियों के पास ही कई दादूपंथी अनुयायियों का सत्संगहोता था। अनूठी कलाओं को बिखेरते इस बागकी कलाकृति को बिखेर वर्तमान महंत कैलाशदास ने इस भूमि का कोलोबरेशन कर विकास कार्य के नाम पर फ्लैट्स बनाने की तैयारी कर दी है। पिछले एक माह से जारी इस कार्य में बागमें जगह-जगह स्थापित संतों के चरण चिह्नों को नष्ट कर दिया और अब पीछे स्थित छतरी को तोडऩे की तैयारी चल रही है।
ये महंत माधोदास की वसीयत
वर्ष 1972 में पंथ की प्रथा के मुताबिक राजगुरु महंत माधोदास ने स्वास्थ्य खराब होने पर एक वसीयत तैयार की और वर्तमान दादूपंथी संत कैलाश दास को अपना शिष्य घोषित किया। वसीयत के मुताबिक महंत माधोदास ने अपने शिष्य कैलाश दास को ठिकाना महंत गोविंददासजी देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी। महंत माधोदास की वसीयत के मुताबिक गोविंददासजी का बागको ठिकाने के गद्दीधारी महंतों का दाह संस्कार के लिए घोषित किया और किसी भी प्रकार से निजी संपत्ति करार देकर हस्तांरित नहीं करने की बात लिखी है।
इनका कहना है
-नरैना धाम के दादूपंथी संत महंत गोपालदास ने बताया कि यह दादू संप्रदाय की पीठ है इसके महंत माधोदास ने अपनी वसीयत में साफतौर पर निजी संपत्ति करार देकर हस्तांतरित नहीं करने की बात कही है। वर्तमान में यहां चरण छतरियों को तोड़कर फ्लैटस बनाने का फैंसला संप्रदाय के विरुद्ध है।
-महंत कैलाशदास का कहना है कि बाग में विकास कार्य किया जा रहा है इसमें फ्लैट्स बनाए जा रहे हैं।
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