जयपुर शहर में अमृत वर्षा का संचार करने के लिए आई माता अमृतानंदमयी अम्मा ने कहा है कि रत्न के गंदगी में गिर जाने से कभी रत्न की चमक कमजोर नहीं पड़ती। तब भी ज्ञानी पुरुष उसे ढूंढ ही लेते हैं। अम्मा से हुई बिशेष बातचीत के कुछ अंश :
-वर्तमान में धर्म की भूमिका कितनी कारगर है?
-देश में प्राचीन काल से ही शंकराचार्य व रामानुज संप्रदाय पूजनीय रहे हैं जो वर्तमान में भी वही स्थिति रखते हैं। धर्म के नाम पर कुछ लोगों ने पाखंड फैला रखा है मगर इसकी पहचान समाज को ही करनी होगी। महापुरुषों की पहचान करनी चाहिए, तभी समाज की कुरीतियों का अंत होगा।
-धर्म के नाम पर पिछले दिनों कुछ संतों का नाम स्कैंडल में भी आया है?
-सभी ऐसे नहीं होते। जरूरी नहीं लाइब्रेरी में एक दो किताबों को छोड़कर सभी किताबें ज्ञान आधारित होती हैं। हॉस्पीटल में एक डॉक्टर नालायक निकले तो जरूरी नहीं, सभी ऐसे ही हों"े। इसके लिए समाज में जागरूकता की आवश्यकता है। वह कार्य भी हमें ही करना होगा।
-समाज में जागरूकता के लिए क्या होना चाहिए?
-प्रयत्न से ही यह संभव है। यह जरूरी नहीं प्रत्येक प्रयत्न सफल हो। मगर प्रयत्न से समाज को बदला जा सकता है। डीजीपी ने भी समाज में क्रिमिनल्स के उत्थान की बात कही थी।
-क्या आप क्रिमिनल्स के उत्थान की कोई योजना शुरू करेंगी?
-हां लेकिन इलाहबाद में बेघरों के उत्थान की योजना पूर्ण होने के बाद इस पर कार्य किया जाएगा। कोशिश करेंगे, कि इसकी शुरुआत जयपुर से हो।
-देश विदेश में अम्मा के मठ हैं, क्या राजधानी में भी वह अपना मठ स्थापित करेंगी?
-मेरा पहला उद्देश्य सभी की इच्छाएं पूर्ण करना है। पहले सेवा कार्य आरंभ हों और समाज का भला हो। फिर मठ स्थापना की बात हागी। बेघरों को घर मिले। वहीं गरीबों के लिए सेल्फ एंप्लॉयमेंट स्कीम योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
-अम्मा ने यूएनए में स्प्रिच्यूअल लीडर्स की स्पीच में भगवान से वरदान में सर्वप्रथम स्वीपर बनने की इच्छा जाहिर की थी। क्या यह सही है?
-हां, क्योंकि स्वीपर पूरे समाज की गंदगी साफ करता है।
-जयपुर के लिए अम्मा क्या देकर जाएंगी?
-आशीर्वाद के अलावा कुछ नहीं है मेरे पास। सभी सुखी रहे। यही कामना है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें