शुक्रवार, 28 मई 2010

कागजों में सिमटी झालाना में ईको टयूरिज्म पार्क योजना -------------------------------------------


पर्यटकों के लिए जापान सरकार के सहयोग से 23 लाख के बजट से तैयार कैमल व हॉर्स सफारी व झालाना की पहाडिय़ों पर एडवेंचर ट्रेकिंग की योजना।
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घनी आबादी के बीच सघन जंगलों में पर्यटकों के लिए वन्यजीवों की अठखेलियां और हॉर्स सफारी व कैमल सफारी की योजना ईको ट्यूरिज्म पार्क अभी तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है।
राजस्थान वानिकी व जैव विविधता परियोजना के तहत बनने वाले इस पार्क में झालाना के जंगलातों की महक बिखेरते हुए जापान सरकार के सहयोग से तैयार करने की योजना बनाई गई थी। योजना में 23 लाख रुपए के बजट को स्वीकृति दी गई थी। हालांकि इस योजना में लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं मगर योजना कागजों में ही सिमट कर रह गई है।
ये है योजना---
झालाना के खो-नागोरियान के 480 हैक्टेयर क्षेत्र में बनने वाले पार्क के लिए पर्यटकों को जिप्सी से भ्रमण कर वन्यजीवों को दिखाने के उद्देश्य से जंगल के लगभग आठ-दस किमी क्षेत्र में ट्रेक भी बनाए जा चुके थे। वह भी टूट-फूट रहे हैं। परियोजना के तहत पार्क में पर्यटकों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए पर्यावरण शिविर लगाए जाने, झालाना की पहाडिय़ों पर एडवेंचर ट्रेकिंग, कैमल व हॉर्स सफारी की योजना भी विचाराधीन है।
कौन-कौन से वन्यजीव व पक्षी---
झालाना के खो-नागोरियान में बनने वाले इको ट्यूरिज्म पार्क में पर्यटकों के लिए बघेरा, जरख, सांभर, चीतल, नीलगाय आदि वन्यजीव और चील, कोयल, पिथ्था, नौरंग, भुजंग, मुनिया, शिकरा, बुलबुल सहित विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को दिखाने के लिए लाए गए थे।
वन्यजीवों ने भूख-प्यास से तोड़ा दम---
योजना के तहत झालाना क्षेत्र में एनक्लोजर बनाकर लाए गए सांभर,चीतल, हिरणों में से करीब आधे वन्यजीवों ने भूख-प्यास से दम तोड़ चुके हैं। वर्तमान में झालाना वन क्षेत्र में इन वन्यजीवों के लिए न तो खाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था है और न ही पीने के लिए पानी।
ये कहते हैं---
इको ट्यूरिज्म पार्क की योजना पहले मूर्त रूप क्यों नहीं ले पाई, इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है मगर अब नई ईको ट्यूरिज्म पॉलिसी लांच की गई है। इसके अंतर्गत सभी पुरानी नई योजनाओं का नया प्लान बनाकर सरकार के पास भेजा जाएगा। - टी.के.वर्मा, उपवन संरक्षक।

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