शनिवार, 29 मई 2010

ढाई लाख बच्चेबिशेष शिक्षा के मोहताज


राज्यभर में दो लाख 61 हजार से अधिक निशक्त बच्चों पर मात्र 763 विशेष शिक्षक, हो रहा है आरसीआई एक्ट का उल्लंघन
------------------------------
प्रदेश में एक ओर राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के भरसक प्रयास कर रही है वहीं दूसरी ओर करीब ढाई लाख निशक्त बच्चे विशेष शिक्षा के मोहताज हैं। शायद राज्यसरकार की निशक्तों के लिए बार-बार की जाने वाली घोषणाएं केवल कागजी ही बनकर रह गई हैं।
आरसीआई एक्ट (भारतीय पुनर्वास परिषद अधिनियम 1992)के अनुसार निशक्त बच्चों को विशेष शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक 8 बच्चों पर एक शिक्षक होना चाहिए। सर्वशिक्षा अभियान के तहत राजस्थान में विभिन्न श्रेणी के कुल 2 लाख 61 हजार एक सौ छह निशक्त बच्चेचिह्नित (6 से 14 वर्ष की उम्र के)किए गए। आरसीआई एक्ट की नियमावली के तहत प्रदेशभर के इन निशक्त बच्चों पर कुल 32 हजार विशेष शिक्षक होने चाहिए। लेकिन नियमों के विपरीत प्रदेश में कुल 763 विशेष शिक्षक ही हैं जिनमें से 513 शिक्षक अनुबंधित हैं।

घोषणा के पांच वर्ष में एक कदम
------------------------------
वर्ष 2005 में राज्य सरकार की ओर से संभाग स्तर पर मल्टी डिसएबल्ड स्कूल खोलने की घोषणा की गई थी। मगर पांच वर्षों में 7 संभगों की इस योजना में राज्य सरकार मात्र एक कदम ही चल पाई। जिसमें सरकार इस वर्ष मल्टीडिसएबल्ड स्कूल के लिए जमीन ही चिह्नित कर पाई।
ये कहते हैं कानून

------------------------------
-केंद्रीय निशक्तजन अधिनियम 1995 की धारा 26 के अंतर्गत निशक्त बच्चों का शिक्षण कार्य विशेष शिक्षा पद्धति और विशेष शिक्षकों के माध्यम से कराया जाए। हर तहसील मुख्यालय पर ऐसे विद्यालय खोलने का प्रावधान।
-आरसीआई की धारा 13 के अंतर्गत भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यताप्राप्त संस्थानों में एक वर्षीय व दो वर्षीय डिप्लोमा प्राप्त व्यक्ति ही निशक्त बच्चों को शिक्षण प्रशिक्षण के लिए अधिकृत हैं।

कितने निशक्तजन (वर्ष 2001 की गणना के अनुसार)
------------------------------
मानसिक नेत्रहीन मूकबधिर

पुरुष 70313 430589 86420
महिलाएं 38741 323373 61962
कुल 14,11,979

इनका कहना है
------------------------------
-निशक्तजन आयुक्त खिल्लीमल जैन का कहना है कि विभाग की ओर से राज्य सरकार की ओर से गत वर्ष आरसीआई एक्ट के अनुसार विशेष शिक्षकों की भर्ती के लिए पत्र भेजा गया था। पिछले वर्ष शिक्षा मंत्रालय में कोई सुनवाई नहीं होने पर इस वर्ष भी सरकार से निवेदन किया गया था कि यदि आरसीआई एक्ट के तहत भर्ती नहीं हो सकती तो 10 प्रतिशत ही विशेष शिक्षकों की भर्ती की जाए।

-सपोर्ट एंड एडवोकेसी फॉर हैल्पलैस पीपुल्स संस्थान के महासचिव हेमंत भाई गोयल का कहना है कि शिक्षा का अधिकार पूरे देश में लागू हो गया, तो इन बच्चों के लिए भी ग्राम, ढाणियों तक विशेष शिक्षा प्राप्त हो। संस्थान कई वर्षों से प्रदेश में विशेष शिक्षकों की भर्ती के लिए प्रयास कर रहा है मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। निशक्त बच्चों के लिए विशेष शिक्षा विशेष शिक्षकों के माध्यम से ही करवाई जानी चाहिए। वहीं हर तहसील मुख्यालय पर शीघ्र ही विद्यालय खोले जाने चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें