मंगलवार, 5 जनवरी 2010

राजापार्क गुरुद्वारे में झलकेगा भारत की सभी संस्कृतियों का मिलन

बदले स्वरूप में नजर आएगा शहर का मुख्य गुरुद्वारा, गुरुद्वारे के कायाकल्प का प्रस्ताव तैयार
शहर का प्रमुख गुरुद्वारा राजापार्क अब नए स्वरूप में नजर आएगा। इसमें भारत की सर्वधर्म संस्कृति को दर्शाती झलक नजर आएगी। गुरुद्वारे की कायाकल्प के लिए मॉडल तैयार किया चुका है। अब इस पर जल्द ही क्रियान्विति की जाएगी।गुलाबी नगरी के हृदयस्थल पर मौजूद इस गुरुद्वारे का निर्माण राजपूत, मुगल और पंजाबी संस्कृति को दर्शाती शैली में किया जाएगा। शहर में सर्वाधिक करीब अस्सी हजार से भी अधिक सिख संगत वाले इस गुरुद्वारे में विशेष रूप से गुरुद्वारे के मुख्य हॉल का विस्तार किया जाएगा।
बिखरेगी हरियाली : गुरुद्वारे में गुरु:ार के दर्शनों के साथ हरियाली भी बिखेगी। चारों ओर हरियाली बिखेरते पेड़ों के बीचोबीच करीब अस्सी फुट चौड़ा और 120 फुट लंबा मुख्य गुरुद्वारे का हॉल होगा। इसमें गुरुद्वारे में दो साइड से संगत के लिए प्रवेश द्वार होगा। मुख्य रूप से राजस्थानी शैली में संगमरमर के गुंबद बनेंगे, वहीं पालकी साहब में सभी शैलियों का मिश्रित रूप नजर आएगा।दो मंजिल का होगा गुरुद्वारा : यह गुरुद्वारा दो मंजिल का होगा। इसमें नीचे का हॉल लंगर के लिए रहेगा, वहीं ऊपरी मंजिल पर गुरु:ार प्रकाशमान होंगे। इसके साथ ही नीचे श्रद्धालुओं के लिए पार्किंग की विशेष व्यवस्था की
राजस्थान सिख समाज के अध्यक्ष अजयपाल सिंह के अनुसार गुरुद्वारा निर्माण के लिए मॉडल तैयार किया जा चुका है। शहर की सिख संगत को ध्यान में रखते हुए गुरुद्वारा को भारत की सभी शैलियों का स्वरूप दिया जाएगा। राजापार्क गुरुद्वारा कमेटी के उपाध्यक्ष सतवंत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा निर्माण के समय गुरु:ार को पहले से ही निर्मित भवन में प्रकाशमान कर दिया जाएगा। गुरुद्वारा का निर्माण जल्द ही बैठक कर आगे क्रियान्वित किया जाएगा।

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