शनिवार, 5 जून 2010

पुलिस सहायता केंद्र को मदद की दरकार


चार साल से बंद पड़ा है मूक-बधिरों की सहायता के लिए यादगार में स्थापित केंद्र
___________थानों में दर्ज मूक-बधिरों की शिकायतों पर बिना भेदभाव त्वरित कार्रवाई के लिए यादगार में स्थापित सहायता केंद्र चार साल से बंद पड़ा है। केंद्र के संचालन का जिम्मा एक स्वयंसेवी संस्था को सौंपा गया था, लेकिन पुलिस और प्रशासन से सहयोग नहीं मिलने के कारण संस्था मात्र दो साल तक ही काम कर पाई।
2004 में अजमेरी गेट के यादगार परिसर में मूक-बधिर सहायता केंद्र खोला गया था। पुलिस प्रशासन के सहयोग से केंद्र के संचालन का जिम्मा स्वयंसेवी संस्था नूपुर को सौंपा गया था।
केंद्र का उद्देश्य________
केंद्र की स्थापना शहर के किसी भी थाने में दर्ज मूक-बधिरों के मामलों को बिना भेदभाव हल कर दोषी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से की गई थी। लेकिन पुलिस और सरकार के सहयोग के अभाव में स्वयंसेवी संस्था दो वर्ष में मात्र 45 मामलों का निस्तारण ही कर पाई। इसके बाद से केंद्र बंद पड़ा है। सूत्रों के मुताबिक पूर्व आईजी ओपी गल्होत्रा के समय केंद्र के लिए विशेष टीम गठित करने का प्रस्ताव भी आया था, लेकिन मामला कागजी कार्रवाई से आगे नहीं बढ़ पाया।
इनका कहना है_______
--केंद्र का मुख्य काम पुलिस और मूक-बधिरों के मध्य समन्वय स्थापित करना था, लेकिन काउंसलिंग व्यवस्था के साथ आर्थिक परेशानी भी आ रही थी। हालांकि पुलिस प्रशासन के समक्ष पुलिस वेलफेयर फंड व समाज कल्याण मंत्रालय से सहायता मुहैया कराने का प्रस्ताव रखा गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। पुलिस की ओर से सहायता नहीं मिलने के कारण मजबूरन केंद्र बंद करना पड़ा।_मनोज भारद्वाज, अध्यक्ष, नूपुर संस्था
--मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, अभी जांच कराते हैं, यदि ऐसा है तो शीघ्र कार्रवाई की जाएगी। — बी.एल.सोनी, आईजी
--वर्ष 2004 में यादगार में पुलिस बधिर सहायता केंद्र स्थापित किया गया था, लेकिन अभी उसका क्या स्टेटस है, उसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है- मालिनी अग्रवाल, डीआईजी, जेडीए।

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