अब पुरा स्मारकों की सुरक्षा एना डिटेक्टर करेंगे। पुरातत्व विभाग ने हाल ही शहर के 5 स्मारकों पर ये डिटेक्टर लगाए हैं।
स्मारकों पर लगे न्यूक्लियर रेडिएशन डिटेक्टर पृथ्वी से निकलने वाली नाभिकीय विकिरणों का आकलन करेंगे, ताकि ये स्मारक सुरक्षित रह सकें। अभी ये डिटेक्टर अलबर्ट हॉल, नाहरगढ़ किला, जंतर-मंतर, हवामहल और आमेर में लगाए गए हैं। विशेष रूप से यूएसए से मंगाई गई पेनिक्यूबल फिल्म रेडिएशन की रेंज बताने में सहायता करेगी।
यूं करेगा काम
इस डिटेक्टर पर रिसर्च कर रहीं निम्स यूनिवर्सिटी में फिजिक्स की विभागाध्यक्ष ज्योति शर्मा ने बताया कि पत्थरों से लगातार रेडिएशन निकलते रहते हैं। इनसे इनके मॉलीक्यूल (अणु) कमजोर पडऩे लगते हैं। इस कारण अणुओं की बॉन्डिंग भी कमजोर पड़ जाती है और दीवारों में दरारें पडऩे लगती हैं। यह डिटेक्टर इनका बचाव करेगा। इसमें लगी पेनिक्यूलेबल फिल्म रेडिएशन का पता लगाएगी। तीन माह बाद इस फिल्म को न्यूक्लियर साइंस सेंटर दिल्ली भेजा जाएगा, जहां विकिरणों का आकलन किया जाएगा और उनकी रेंज का पता चलाया जा सकेगा। फिर इसकी रेंज के अनुसार इन विकिरणों से इमारतों की सुरक्षा के लिए न्यूक्लियर रेडिएशन डिवाइस लगाई जाएगी। शोध के लिए अभी एना डिटेक्टर पुरातत्व विभाग की सहायता से पुरावशेषों पर लगाए गए हैं।
इनका कहना है
हवामहल अधीक्षक पंकज धरेंद्र का कहना है कि इमारतों की सुरक्षा के लिए एना डिटेक्टर एक अच्छी कड़ी साबित हो सकती है। इसलिए अभी यह पुरा स्मारकों में 9 स्थानों पर लगाए गए हैं। यदि यह कार्य करने में सफल रहता है, तो इन्हें अन्य स्थानों पर भी लगाया जाएगा।
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