सोमवार, 12 जुलाई 2010

जीवन के परम लक्ष्य का एक ही मार्ग, गुरुमंत्र


गुरु पूर्णिमा महोत्सव के तहत संत आसाराम बापू की मंत्र दीक्षा............
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शहर में प्रात:काल की वेला में रविवार को चल रही मधुर सुगंधित शीतल बयार के आगाज के साथ ही भारत की वैदिक संस्कृति का दृश्य साकार हो उठा। मौका था गुरु पूर्णिमा महोत्सव के तहत अमरूदों के बाग में योग वेदांत समिति की ओर से आयोजित तीन दिवसीय सत्संग के अंतिम दिन संत आसाराम बापू की मंत्र दीक्षा का।

हजारों साधक-साधिकाओं ने एक साथ बैठकर मंत्र जाप किया, तो पूरा वातावरण गुरु भक्ति की परंपरा के इस अनुपम सागर में रम गया। संत आसाराम बापू ने विद्या के लिए सारस्वत मंत्र की दीक्षा दी। इसके साथ ही मंत्रों का महत्व बताया। बापू ने कहा कि मंत्रों में सुसुप्त शक्तियों को जाग्रत करने की विलक्षण क्षमता होती है। यंत्र से मंत्र अधिक प्रभावशाली होता है। ओमकार पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि ओमकार भगवान का स्वाभाविक नाम है। शांत बैठकर ओमकार का गुंजन करने से भगवान विश्रांति प्राप्त होती है।

ओ और न के बीच का स्थान परमात्मा का है। सद्गुरु द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर श्रद्धा, तत्परता और इंद्रिय संयम के साथ साधना से मनुष्य अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। वास्तव में मनुष्य जीवन परमात्मा प्राप्ति के लिए है। सद्गुरु द्वारा बताए गए मार्ग से जितना लाभ होता है, उतना मनमानी साधना से नहीं होता।

सामाजिक जीवन में सफलता के लिए उन्होंने आपसी स्नेह की सलाह दी। उन्होंने कहा कि मनुष्य को निंदा, ईष्र्या और द्वेष से बचना चाहिए। आरंभ में बापू के शिष्य सुरेशानंद ने मंत्र जाप विधि व लाभ बताए। इसके बाद बापू हवाई मार्ग से कोलकाता के लिए रवाना हुए। समिति के संरक्षक बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि मुख्य कार्यक्रम २५ जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर सुबह दिल्ली और शाम को अहमदाबाद में होगा। प्रवक्ता तुलसी संगतानी ने कार्यक्रम की सफलता के लिए जिला प्रशासन व जनता का आभार जताया।

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