मंगलवार, 27 जुलाई 2010

सावन में फहरेगा एकता का परचम

सावन इस बार एकता का परचम फहरेगा। भगवान शिव की आराधना के इस पावन महीने में सभी धर्मों के धर्मावलंबी सांप्रदायिक सौहाद्र्र की बयार बहाएंगे।
सावन के पहले दिन जहां सावन की शुरुआत पर शिवमंदिरों में बम भोले के गुणगान से गूंज उठे। शिवमंदिरों में सहस्राभिषेक, रुद्राभिषेक का दौर शुरू हुआ। वहीं शाबान की पंद्रहवीं रात शब-ए-बारात के रूप में मनाई गई। मान्यतानुसार ईश्वर मानव के आगामी वर्ष का भाग्य तय करते हैं। मुस्लिम अनुयायियों ने गुनाहों का प्रायश्चित किया और इबादत में समय गुजारा। दूसरे दिन रोजा रखेंगे। इसी माह रमजान शुरू होंगे। केरल के प्रमुख पर्व ओणम, पारसी नववर्ष भी इस माह से शुरू हो जाएंगे। इसी बीच 22 वें तीर्थंकर भगवान नेमीनाथ का जन्म व तप कल्याणक और मोक्षसप्तमी पर 23 वें तीर्थंकर भगवान पाश्र्वनाथ का मोक्ष कल्याणक मनाया जाएगा।
सावन माह के इस अनूठे संगम में चार माह चलने वाले चातुर्मास का दौर भी शुरू हो जाएगा। इसमें हिंदू संत-महंतों के चातुर्मास प्रवेश के साथ ही जैन आचार्य-मुनियों का चातुर्मास होगा। चातुर्मास में संत महात्मों का प्रवचन से लोग लाभान्वित रहेंगे।
हिंदू व मुस्लिम त्योहार 32 से 35 वर्ष में साथ—साथ....
ज्योतिष गणना के अनुसार हिंदू त्योहार चंद्र वर्ष व सौर वर्ष के अनुपात के बराबर करते हुए मनाए जाते हैं। पंडित बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा के अनुसार मुस्लिम त्योहार चंद्रवर्ष के अनुसार ही मनाए जाते हैं। चंद्रवर्ष 354 दिन का होता है। प्रतिवर्ष 11 दिन के अंतर के कारण दोनों के त्यौहार 32 से 35 साल में साथ—साथ आ जाते हैं। जामा मस्जिद के सचिव अनवर शाह बताते हैं कि एक साथ आने वाले मुस्लिम त्योहारों में सभी के मानवमात्र के कल्याण का संकल्प लेना चाहिए।
यूं होगा सावन में संस्कृतियों का मिलन....
27 जुलाई : सावन व शब-ए-बारात, 12 अगस्त : रमजान, 15 अगस्त : भगवान नेमीनाथ का जन्म व तप कल्याणक , 16 अगस्त : मोक्षसप्तमी , 19 अगस्त : पारसी नववर्ष, 23 अगस्त : ओणम।

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