शुक्रवार, 16 जुलाई 2010

जो रस बरस रह्यो गोकुल में वह तीन लोक में नाय...


गोसेवा परिवार की ओर से जनता में गोसेवा जाग्रत करने व गोवंश की रक्षा के लिए तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा
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तबले की थाप, मंजीरे की धुन और गौ मां की रक्षा की पुकार। भक्ति की अविरल धारा से सराबोर भक्तों से खचाखच भरा गोविंददेवजी का दरबार। यहां मानो हर कोई नंदलाल और गौ की भक्ति में लीन हो गया हो। मौका था श्रीगोधाम महातीर्थ आनंदवन, पथमेड़ा और गोसेवा परिवार की ओर से प्रदेश की जनता का गोसेवा के लिए जाग्रत करने के लिए और गोवंश की रक्षा के लिए शुक्रवार को शुरू हुए तीन दिवसीय नानी बाई के मायरे का।
गिनीज बुक में नाम दर्ज करा चुका गोविंददेवजी मंदिर का सत्संग भवन मेरो प्यारो नंदलाल किशोरी राधे, किशोरी राधे-किशोरी राधे...के भजनों के साथ भक्तों की तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। गौमाता मंदिर में बह्मपीठाधीश्वर नारायणदास महाराज, पथमेड़ा के दत्तशरणानंद महाराज, महंत अंजन कुमार गोस्वामी, गोधाम के संरक्षक ज्ञानानंद महाराज तथा शुकसंप्रदाचार्य अलबेली माधुरीशरण महाराज ने दीप प्रज्वलन किया। इसके बाद व्यास पूजा की।
कथा व्यास राधाकृष्ण महाराज ने कहा कि इस संसार में गोमाता की भक्ति ही परमात्मा के अवतरण का आधार है। अकाल पीडि़त लाखों निराश्रित गोमाता की सेवार्थ गोधाम पथमेड़ा द्वारा प्रेरित गोसेवा परिवार समिति जयपुर की ओर से आयोजित नानी बाई के मायरे की कथा के माध्यम से जयपुर के भक्त गो माता की सेवा कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि गो मां की सेवा तन-मन-धन से करनी चाहिए। धनवान व्यक्ति को रातभर नींद नहीं आती। यहां तक कि उसे अपने परिवारजनों पर भरोसा भी नहीं रहता। यदि वह धन गोसेवा में लग जाए तो उसका जीवन सफल हो जाए। नंदबाबा के पास गोधन था, इसीलिए वहां गोपाल आए। कथा के मध्य में जो रस बरस रह्यो गोकुल में वह तीन लोक में नाय...और ए भाई मैं तो भक्तां रो दास...की पंक्तियों पर भक्त झूम उठे। कथाव्यास राधा कृष्ण ने कहा कि कंस के पास खूब धन था, लेकिन उसे चैन नहीं था और दूसरी तरफ गाय देखने के लिए भगवान गोकुल आए। भगवान छप्पन भोग, चांदी का महल बनाने से नहीं आए। गाय रे बिना भगवान का मन नहीं लगे...। उन्होंने भगवद भक्ति स्वरूप भक्त नरसी की भावपूर्ण कथा सुनाई।

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