सोमवार, 14 जून 2010

भारत की शान, महाराणा प्रताप की आन.....


.........याद करें और नमन करें
भारत की शान, महाराणा प्रताप की आन।
कभी अमरसिंह राठौड, तो कभी अशोक महान।
ये थे हमारे देश के वीर जवान।
विवेकानंद ने जगाई थी अलख अमेरिका में भारत के सम्मान की।
अब तुम भी जग जाओ और समझ लो इस बगिया की बानगी।
रोक लो इस समाज सेवा की राजनीति के झूठे आडंबर को।
अब रखनी होगी नीव हमें इस जर्जर होते सम्मान की।
महापुरुषों का योगदान तो शायद हम कभी भुला सकें। आज उनकी ही देन है जो हम स्वतंत्र भारत में शान से जीवन बसर कर रहे हैं। मगर शायद उनको याद करना अब एक परंपरा सी ही रह गई है। केवल महाराणा प्रताप जयंती ही नहीं प्रत्येक महापुरुष की जयंती को सर्वप्रथम तो एक जाति विशेष से जोड़ दिया गया है। वहीं कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी हैं जिन्होंने इसे प्रचार और स्वयं के नाम की परंपरा बना दिया है। आज के नौनिहालों से यदि महाराणा प्रताप की जीवनी के बारे में पूछा जाए तो क्या वह उनका थोड़ा सा भी परिचय दे पाएंगे? मुझे आज भी याद है जब मैं आठ-दस साल का था तब पिताजी से कहानी सुनाने की जिद किया करता था, और वह महाराणा प्रताप और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों का कहानियों में जिक्र किया करते थे, तो अक्सर उनके जैसे बनने की इच्छा जाग जाती थी। मगर क्या अब कहानियों में महापुरुष शामिल होते हैं? नहीं।
अब तो आमजीवन में स्पाइडर मैन और सुपर मैन की कहानियां ही शामिल होती हैं। महापुरुषों की जयंती मनाने वाले लोगों से ही पूछा जाए तो उन्हें भी अपने संगठन व दल को सुदृढृ करने से फुरसत मिले तो वह बच्चों को इन महापुरुषों की कहानियां सुनाएं?

4 टिप्‍पणियां:

  1. देश-भक्ति,स्वतंत्रता ,स्वाभिमान,सहिष्णुता,पराक्रम और शौर्य के लहराते सरोवर व प्रेरणास्त्रोत राणा प्रताप को मेरा शत-शत नमन |

    राष्ट्रगौरव महाराणा प्रताप को नमन |

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  2. सादर वन्दे !
    इसी तरह जब इस देश का नौजवान अपने देश कि रक्षा पर मर मिटने वाले वास्तविक योद्धाओं को याद करेगा तभी वह शसक्त राष्ट्र का निर्माण करेगा|
    इस वीर योद्धा को कोटि कोटि नमन |
    जय हिंद ! वन्देमातरम !
    रत्नेश त्रिपाठी

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  3. भारत की शान, महाराणा प्रताप की आन.....

    .........याद करें और नमन करें
    भारत की शान, महाराणा प्रताप की आन।
    कभी अमरसिंह राठौड, तो कभी अशोक महान।
    ये थे हमारे देश के वीर जवान।
    विवेकानंद ने जगाई थी अलख अमेरिका में भारत के सम्मान की।
    अब तुम भी जग जाओ और समझ लो इस बगिया की बानगी।
    रोक लो इस समाज सेवा की राजनीति के झूठे आडंबर को।
    अब रखनी होगी नीव हमें इस जर्जर होते सम्मान की।
    महापुरुषों का योगदान तो शायद हम कभी भुला सकें। आज उनकी ही देन है जो हम स्वतंत्र भारत में शान से जीवन बसर कर रहे हैं। मगर शायद उनको याद करना अब एक परंपरा सी ही रह गई है। केवल महाराणा प्रताप जयंती ही नहीं प्रत्येक महापुरुष की जयंती को सर्वप्रथम तो एक जाति विशेष से जोड़ दिया गया है। वहीं कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी हैं जिन्होंने इसे प्रचार और स्वयं के नाम की परंपरा बना दिया है। आज के नौनिहालों से यदि महाराणा प्रताप की जीवनी के बारे में पूछा जाए तो क्या वह उनका थोड़ा सा भी परिचय दे पाएंगे? मुझे आज भी याद है जब मैं आठ-दस साल का था तब पिताजी से कहानी सुनाने की जिद किया करता था, और वह महाराणा प्रताप और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों का कहानियों में जिक्र किया करते थे, तो अक्सर उनके जैसे बनने की इच्छा जाग जाती थी। मगर क्या अब कहानियों में महापुरुष शामिल होते हैं? नहीं।
    अब तो आमजीवन में स्पाइडर मैन और सुपर मैन की कहानियां ही शामिल होती हैं। महापुरुषों की जयंती मनाने वाले लोगों से ही पूछा जाए तो उन्हें भी अपने संगठन व दल को सुदृढृ करने से फुरसत मिले तो वह बच्चों को इन महापुरुषों की कहानियां सुनाएं?
    pintu vaghela

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